‘भारत सांस्कृतिक यात्रा’ की सुर-लय-नृत्य की सजीव झांकी ने एकेएस विश्वविद्यालय में रचा सांस्कृतिक माधुर्य।

सतना | 18 जुलाई 2025
भारत की सांस्कृतिक विविधता और कलात्मक विरासत की जीवंत अभिव्यक्ति शुक्रवार को एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के प्रांगण में तब देखी गई, जब उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज,संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘भारत सांस्कृतिक यात्रा’ कार्यक्रम के अंतर्गत लोक एवं शास्त्रीय कलाओं की अद्भुत झलक मंचित हुई।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसमें अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री बी.पी.सोनी ने करते हुए सभागार को संबोधित भी किया। मुख्य अतिथि सतना नगर निगम के महापौर श्री योगेश ताम्रकार, विशिष्ट अतिथि प्रो-चांसलर श्री अनंत कुमार सोनी, डिप्टी कलेक्टर अनिकेत शांडिल्य,डॉ.हर्षवर्धन,डॉ. आर.एस.त्रिपाठी एवं निदेशक श्री अमित सोनी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर महापौर श्री ताम्रकार ने कहा, “भारत की आत्मा इसकी लोक-संस्कृतियों में बसती है। जब कलाकार मंच पर उतरते हैं, तो वे केवल प्रदर्शन नहीं करते, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं और भावनाओं को पुनर्जीवित करते हैं। हमें इन कलाओं का संरक्षण गर्व और उत्तरदायित्व दोनों के रूप में करना चाहिए।”
राजस्थान से आमंत्रित लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों से कार्यक्रम का आरंभ हुआ। ‘केसरिया बालम पधारो म्हारे देश’ और ‘निंबुड़ा निंबुड़ा’ जैसे कालजयी गीतों पर थिरकते कलाकारों ने शुष्क मरुस्थल की सांस्कृतिक सरसता को मंच पर जीवंत किया। कालबेलिया नृत्य की लहराती मुद्राओं और रंगीन परिधानों ने वातावरण को उल्लास से भर दिया।
मथुरा के विनय गोस्वामी एवं उनके दल ने मयूर नृत्य के माध्यम से राधा-कृष्ण की लीलाओं को भक्ति-रस में पिरोकर प्रस्तुत किया। मोरपंख धारण किए कलाकारों ने ऐसी मनोहारी भंगिमाएं रचीं कि दर्शक भावविभोर हो उठे।
वाराणसी की करिश्मा केसरी ने शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम के माध्यम से नारी भावों, सौंदर्य और आध्यात्मिक चेतना को अभिव्यक्ति दी। वहीं हरियाणा की शिखा पाल एवं उनके दल की फाग और घूमर नृत्य प्रस्तुतियाँ दर्शकों की तालियों से गूंज उठीं, जिसने हरियाणवी सांस्कृतिक चेतना को मंच पर स्थापित किया।
बुंदेलखंड की लोकगंध तब महकी जब राखी द्विवेदी एवं दल ने बघेली गायन प्रस्तुत किया। नेहा सिंह सैंगर द्वारा प्रस्तुत कथक नृत्य में लय, भाव और ताल का ऐसा सुंदर संगम देखने को मिला, जिसने उत्तर भारतीय शास्त्रीय परंपरा की गरिमा को मंच पर सजीव किया।
कार्यक्रम के समापन पर प्रभारी श्री एम.एम. मणि ने सभी कलाकारों को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया और भारतीय संस्कृति के संवाहकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। इस अवसर पर डिग्री कॉलेज प्राचार्य एस.सी.राय,प्रभारी प्राचार्य ए.के.पांडेय,एकेएस स्टूडेंट वेलफेयर डॉ.महेन्द्र कुमार तिवारी, धनराज गुप्ता, कल्चरल डायरेक्टरेट से बालकृष्ण मिश्रा, प्रियेश झा,लकी सिंह,आशुतोष सोनी समेत अनेक विशिष्ट अतिथि,कला प्रेमी एवं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति न होकर, भारत की बहुरंगी, बहुध्वनिक, और बहुलतावादी सांस्कृतिक चेतना का जीवंत दस्तावेज बन गया, जहाँ कला ने भाषाओं, प्रांतों और सीमाओं से परे जाकर राष्ट्र को जोड़ा। संचालन श्री शरद मिश्रा प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर एनसीजेड सीसी, प्रयागराज ने की कार्यक्रम का सफल संयोजन डॉ. दीपक मिश्रा,सहायक निदेशक सांस्कृतिक निदेशालय ने किया।