शिक्षा में संस्कार और कानून का खौफ अनिवार्य : अश्विनी उपाध्याय
ए.के.एस. विश्वविद्यालय के विधि संकाय दीक्षारंभ समारोह में सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का संबोधन
सतना, 17 अगस्त। ए.के.एस. विश्वविद्यालय, सतना के केंद्रीय सभागार में रविवार को विधि संकाय का दीक्षारंभ समारोह आयोजित हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ‘पीआईएल मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से ख्यात अश्विनी उपाध्याय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की शिक्षा, चिकित्सा और न्याय प्रणाली श्रेष्ठ है, परंतु शिक्षा में संस्कार और कानून का खौफ जुड़े बिना राष्ट्र की वास्तविक प्रगति संभव नहीं है। कानून और शिक्षा पर विचार व्यक्त करते हुए श्री उपाध्याय ने कहा कि कानून के विद्यार्थियों में जिज्ञासा और संवेदनशीलता सबसे आवश्यक गुण हैं।
संविधान का अर्थ है “समान विधान”, जो समाज में समानता और न्याय की नींव रखता है। भारत की वैदिक परंपरा “वसुधैव कुटुंबकम” और “नारी तू नारायणी” को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कर पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना समय की मांग है।
भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था ही भूमि विवाद और सड़क दुर्घटनाओं जैसी समस्याओं का समाधान कर सकती है। शिक्षा प्रणाली को भारतीय पद्धति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में अनेक जनहित याचिकाओं के माध्यम से शिक्षा सुधार, समान नागरिक संहिता, भ्रष्टाचार उन्मूलन, राजनीतिक दलों के आपराधिकरण, फ्रीबी कल्चर और अवैध धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
श्री उपाध्याय ने यह भी उल्लेख किया कि “2020 के कोविड काल में भारत ने एक प्रकार से रामराज्य जैसी स्थिति का अनुभव किया, जब परिवारिक और सामाजिक जीवन में अनुशासन, संयम और एक-दूसरे की सहायता का भाव दिखाई दिया।”
रामराज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए विद्यार्थियों को संविधान की गहराई से समझना और उसका अनुपालन करना होगा। अश्विनी उपाध्याय जी ने कहा कि “नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में इंडक्शन कार्यक्रम अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यह विद्यार्थियों को केवल अकादमिक मार्गदर्शन ही नहीं देता, बल्कि जीवन के बड़े उद्देश्यों से भी जोड़ता है। शिक्षा का वास्तविक लक्ष्य केवल डिग्री पाना नहीं बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक बनना है, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि माने।”
दीक्षारंभ समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत और सरस्वती पूजन से हुई। स्वागत भाषण श्री सूर्यनाथ सिंह गहरवार ने दिया।कार्यक्रम का संचालन विधि संकाय के डीन डॉ. सुधीर जैन ने किया। पं. राकेश मिश्रा ने कहा कि विद्यार्थियों को मुख्य वक्ता के विचार आत्मसात करने चाहिए। श्री राजीव दंडोतिया और श्री उत्तम बनर्जी ने इसे समाज सुधार के लिए मार्गदर्शक बताया।
समापन सत्र में विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर अनंत कुमार सोनी ने विश्व सरकार की अवधारणा पर विचार रखे, जबकि कुलपति प्रो. बी.ए. चोपड़े ने आभार व्यक्त किया। समारोह में कुलाधिपति माननीय बी.पी. सोनी, विश्वविद्यालय के डायरेक्टर अजय कुमार सोनी, गणमान्य नागरिक और विधि संकाय के शिक्षकों सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।